1 जून से एक्सचेंजों और क्लियरिंग हाउसों के लिए कोलैटरल डेटा जमा करना भी ज़रूरी हो जाएगा जिसमें बैंक गारंटी समेत दूसरी जानकारी देनी होगी.
ये दोनों नॉन फण्ड बेस्ड क्रेडिट फैसिलिटी होती हैं. जो एक बैंक अधिकतर ट्रेडिंग फाइनेंस के अंदर देता है.
सरकार सरकार बैंक गारंटी के आप्शन के तौर पर बीमा बॉन्ड पेश करने पर विचार कर रही है. इस बात की जानकारी वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने दी है.
LC का इस्तेमाल इंटरनेशनल ट्रेड में होता है. यहां buyer और seller एक दूसरे को नहीं जानते हैं. एक्सपोर्टर और इंपोर्टर के टर्म में इनका इस्तेमाल होता है.